Wednesday, December 19, 2007

स्मृतियाँ

नभ से आनेनी वाली वो सूरज की वो पहली किरण
सपनो से पहले नींद का वो पहला आगमन।

वो मेरे पैरों पे चलने का पहला गमन
माँ तुझे देखने वाले वो पहले नयन

जब भी याद आये तो कुछ कहता है मन कुछ कहता है मन .

एक हलकी सी धुप अम्बर तले माँ का अंचल , वो पहला दामन ।
पहला प्यार। पहली घटा पहली फिजा का पहला अभिनन्दन.

इस धारा का पहला क्रंदन। सुकून का वो पहला अमन
प्रेम मी बिछे वो पहले पलकन, प्यार बरसाता वो पहला चमन

जब भी याद आये तो कुछ कहता है मन कुछ कहता है मन .

जब भी सुनाई दे लोरी कहीं, पलकों का बोझ वो पहला बचपन।
स्वछा, निर्मल, कोमल, माँ तेरे हाथों कि पहली तपन.

श्वेत वर्ण, पीताम्बर ओढे, सष्ट माह का वो कोमल तन।
बिना केश मी पहली बार, वो भय से कन्प्कपया बदन.

जब भी याद आये तो कुछ कहता है मन कुछ कहता है मन ।

धुल भरा है अब ये पथ, ये शहर, और ओझल मेरी अंकों से मेरा गाँव और सब जन.
ध्यान करता हूँ जब, तो हर पल सोचता है मन

क्या वही था, और क्या जो आज है, ऐसा ही होता है क्या हकीक़त का चमन।
जब भी कुछ याद आये। तो कहता है मन, कुछ कहता है मन.

Tuesday, November 27, 2007

पुकार

इस पल थम जा जरा मेरे लिए
कुछ पल सुन जा जरा मुझे मेरे लिए
मुझसे नाता तो जन्मों का है
मैं उत्तरांचल हूँ तेरा कुछ तो कर जा मेरे लिए। इस पल थम जा जरा मेरे लिए।

मैं समेटता हूँ इस धरा कि बृहद खूबसूरती
पर्वत श्रंखला, फूलों कि घाटी और देवभूमि कहलाता हूँ मैं
उन परवानों कि सहादत पर रोता हूँ मैं जिन्हें नही भुला सकते सच्चे सपूत मेरे
जरा सुन दर्द मेरा, इस पल जरा थम जा मेरे लिए।

मेरा हर सपूत सच्चा जवान है मुझे मेरी पहचान दिलाई है।
मुझे गर्व है उन शहीदों पर जिनसे आज हूँ मैं।
सोचा था उन्होने कुछ तस्वीर बदलेगी
एक नया सवेरा होगा एक नया अहसास होगा
सब अपने स्वाभिमान से मजबूत क़दमों से चलेंगे
उनका मान मेरा सम्मान है तू भी कुछ कर जा मेरे लिए,
माँ हूँ तेरी मातृभूमि हूँ तेरी इस पल जरा थम जा मेरे लिए।

तू भी तो लाराजता है खुसी से जब चार धामों कि बातें कोई करता है।
नैनीताल का रहने वाला हूँ झूठ भी कभी कह लेता है
आज मेरे हर रंग को हर बसंत को सबको बतलाना चाहता है
जाने कभी सर्म्षर हो जाता है , कहीं खो जाता है , जब मेरे पास पास नही होता तो
तो क्यों रो जाता है
मत खो मेरे लिए मत रो मेरे लिए, सुन ले एक अर्ज मेरी इसलिए इस पल जरा थम जा मेरे लिए

मैं अखंड उत्तराखंड हूँ । मैं अटल हिमालय हूँ
देवताओं का वास है मुझमे, मैं देवभूमि हूँ
मैं जानता हूँ मैं दिल हूँ तेरा, बसा ले दिल मैं मुझे मेरे लिए
कहना है आज जरा कुछ, इस पल थम जा मेरे लिए

मेरी पहचान अब भी बाक़ी है
मेरे शहीद सपूतों का सपना अब भी बाक़ी है
मैं संघर्ष के उन दिनों को नही भूल सकता
अब तेरा कुछ योगदान बाक़ी है

मेरे सपूतों ने एक सपना देखा था।
इस धरा का एक नया राज्य "उत्तराखंड" मुझे नाम दिया था।
बिना तुम्हारे मैं अधूरा हूँ, एक सपना संजो लो मेरे लिए
मैं तो सदा तुम्हारा हूँ, बस इस पल थम जा मेरे लिए।


भाई लोगों मुझे माफ़ करना अगर कोई गलती होगी । बड़ी जल्दी बाजी मीलिखा है मैने इसे अगर कोई सुझाव आप देना चाहें या कूच बदलाव चाहें तो आपका हार्दिक स्वागत है।